डीसी ने की कल्याण विभाग की 6 समितियों की बैठकों की अध्यक्षता

एससी-एसटी अत्याचार के मामलों की जांच और अभियोजन में न हो विलंब कार्यालयों, संस्थानों और सार्वजनिक स्थलों पर दिव्यांगों को मिलें सभी सुविधाएं सफाई कर्मचारियों को मिलें सुरक्षा किट, नशामुक्त अभियान की रिपोर्ट भी मांगी

डीसी ने की कल्याण विभाग की 6 समितियों की बैठकों की अध्यक्षता

उपायुक्त अमरजीत सिंह ने सोमवार को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की विभिन्न योजनाओं, अभियानों तथा अधिनियमों से संबंधित छह अलग-अलग जिला स्तरीय समितियों की बैठक की अध्यक्षता की।

 अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की समीक्षा करते हुए उपायुक्त ने बताया कि इस समय जिला में अधिनियम के तहत दर्ज 28 मामले विभिन्न अदालतों में विचाराधीन हैं। 28 मामलों की कैंसलेशन रिपोर्ट्स भी अभी विभिन्न अदालतों में विचाराधीन हैं। 7 मामलों में पुलिस जांच कर रही है। उन्होंने पुलिस और अभियोजन विभाग के अधिकारियों से कहा कि ऐसे मामलों की जांच और अभियोजन में विलंब नहीं होना चाहिए तथा एफआईआर दर्ज होते ही इसकी सूचना जिला कल्याण अधिकारी को दी जानी चाहिए।  

  नशा मुक्त भारत अभियान 2.0 की समीक्षा करते हुए उपायुक्त ने कहा कि इस अभियान के तहत पहली जून से 26 जून तक कई जागरुकता गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। सभी संबंधित विभाग दो दिन के भीतर इन गतिविधियों का ब्यौरा जिला कल्याण अधिकारी को प्रेषित करें, ताकि इन्हें वेबपोर्टल पर अपलोड किया जा सके। इस अभियान को एक जन आंदोलन का रूप देने के लिए उन्होंने पुलिस, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, स्वास्थ्य, शिक्षा, पंचायतीराज और अन्य विभागों तथा स्वयंसेवी संस्थाओं को आपसी समन्वय के साथ कार्य करने के निर्देश दिए।

  जिला दिव्यांगता समिति की बैठक में उपायुक्त ने बताया कि गत वित्त वर्ष के दौरान जिला के 4905 दिव्यांगजनों की पेंशन पर 8.09 करोड़ रुपये खर्च किए गए। दिव्यांग विद्यार्थियों को 17.05 लाख रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की गई। 13 दिव्यांगों की शादी पर 4.16 लाख रुपये का अनुदान दिया गया। उन्हांेने कहा कि सभी भवनों, सार्वजनिक स्थलों, परिवहन सेवाओं, अस्पतालों, कार्यालयों और शौचालयों इत्यादि में दिव्यांगों के लिए निर्धारित सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए।

 राष्ट्रीय न्यास अधिनियम 1999 के अंतर्गत गठित स्थानीय समिति की बैठक में उपायुक्त ने बताया कि मानसिक विकलांगता, ऑटिज्म, सेरीब्रल पाल्सी और बहु-विकलांगता से ग्रस्त बच्चों के माता-पिता स्वभाविक रूप से इन बच्चों के संरक्षक होते हैं। लेकिन, 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने के बाद ऐसे लोगों के लिए कानूनी संरक्षकों की नियुक्ति आवश्यक होती है। जिला में अभी तक 200 ऐसे दिव्यांगजनों के अभिभावकों को कानूनी अभिभावक प्रमाण पत्र जारी किए जा चुके हैं। समिति ने 2 नए आवेदनों को भी मंजूरी देने का निर्णय लिया।

  अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री के नए 15 सूत्रीय कार्यक्रम की समीक्षा के दौरान उपायुक्त ने कहा कि सभी संबंधित विभाग अल्पसंख्यक वर्गों के पात्र लोगों को चिह्नित करें और उन्हें विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित करें।

 हाथ से मैला उठाने वाले सफाई कर्मचारियों के नियोजन प्रतिषेध एवं उनका पुनर्वास अधिनियम-2013 के अंतर्गत गठित जिला सतर्कता समिति की बैठक में उपायुक्त ने कहा कि जिला में अब पुराने ढंग से मैला ढोने का कोई भी मामला सामने नहीं आया है। लेकिन, सेप्टिक टैंकों, शौचालयों और नालियों की सफाई करने वाले कर्मचारियों की के पास सभी आवश्यक उपकरण एवं सुरक्षा किट होनी चाहिए तथा उनके स्वास्थ्य की नियमित रूप से जांच की जानी चाहिए।  

 उक्त सभी समितियों की बैठकों में जिला कल्याण अधिकारी चमन लाल शर्मा ने विभिन्न योजनाओं का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया। बैठक में एसपी भगत सिंह ठाकुर, जिला न्यायवादी संदीप अग्निहोत्री, संबंधित विभागों के अधिकारी तथा उक्त समितियों के गैर सरकारी सदस्य भी उपस्थित थे।